लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना-

7- रक्षा का भारत आना-

श्रेया की डिलीवरी में 6 दिन ही बाकी रह गए हैं। जिन्हें वह पूरी तरह से सुखद एहसास के साथ जी लेना चाहती है। अभी श्रेया और श्रवन खाना खाने के लिए कमरे से बाहर आते हैं। श्रेया के चेहरे पर खुशी देखकर सासू मां श्रेया से उसकी खुशी का राज पूछती हैं। और श्रेया को खुश देखकर बहुत खुश होती हैं। श्रेया सासु मां को बताती है,कि उसकी मां का फोन आया था। मैंने मां और भाभी से बात की और मैंने भाभी के बच्चे की आवाज भी सुनी उसे सुनकर मुझे बहुत अधिक खुशी हुई। बच्चे की आवाज सुनकर मैं बहुत ही सुखद अनुभव कर रही हूं। अच्छा है,सासू मां ने कहा। आप बहुत रात हो गई है ,जाओ तुम सो जाओ। कल सुबह फिर तुम्हें डॉक्टर के यहां जाना है। श्रेया और श्रवण मां को शुभरात्रि कह कर सोने चले गए।

श्रेया और श्रवन के कमरे में जाने के बाद सभी लोग अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए थे। सभी पहली नींद सो रहे थे, तभी अचानक फोन की घंटी बजी। फोन की घंटी आधी रात में बजने का मतलब तो कुछ गहन ही लगाया जा सकता है। फोन की घंटी सुनते ही सभी लोग कुछ सहमे से उठ कर बैठ गए,और अपने अपने कमरे से बाहर हॉल में आ गए। श्रवन के पिताजी ने कहा- कि फोन मैं उठाऊंगा। सभी के मन में जिज्ञासा थी, कि आखिर इतनी रात में फोन किसका होगा‌? सभी बहुत डरे हुए थे। फोन उठाने से पहले बीते कुछ ही पलों में सभी के मन में अलग-अलग तरह की बातें आ रही थी। सभी अपने तरीके से सोच रहे थे ।सभी को घबराहट हो रही थी कि इतनी रात में किसका फोन होगा? कहां क्या हुआ है ? सबके मन में विचारों की प्रक्रिया लगातार हलचल कर रही थी। इतने में श्रवन के पिताजी ने फोन उठाया। हेलो कहते ही उधर से आने वाली आवाज को सुनकर श्रवन के पिताजी का चेहरा खुशी से लाल हो गया। वह एकदम बोल पड़े, अरे तू इतनी रात में कहां से बोल रही है?

उधर की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी। पर पिता जी के हाव भाव से पता चल रहा था। कि यह श्रवन की बहन रक्षा का फोन है, जो विदेश में रहकर पढ़ रही थी। रक्षा ने मां को फोन किया था। रक्षा ने जब परिवार में सब के बारे में पूछा। तब सभी के  बाद श्रेया और श्रवण का नंबर आया। श्रेया का नंबर आते ही मां ने बताया कि श्रेया मां बनने वाली है। यह सुनते ही रक्षा बहुत खुश हुई। और उसने भारत आने का प्रोग्राम बना लिया। परंतु रक्षा ने घर पर नहीं बताया था। जब मां के बताने पर  रक्षा को पता चला कि भाभी गर्भवती है। और बहुत जल्द ही श्रेया की डिलीवरी होने वाली है।

रक्षा बुआ बनने वाली है। तो रक्षा अपने आप को रोक नहीं पाई, और भाई भाभी की खुशी में शामिल होने के लिए उसने भारत आने के लिए अपनी व्यवस्था कर ली। वह सब को अचंभित करना चाहती थी। इसलिए उसने पहले किसी को कुछ नहीं बताया। कि वह भारत आ रही है। अचानक अर्धरात्रि को फोन आने पर पता चला कि रक्षा भारत आ गयी है।रक्षा के घर आने की खबर को सुनकर सभी खुश हुए।  लेकिन उसने जो पहले सूचना नहीं दी। इसलिए सभी परेशान थे, और पिताजी ने उसे फोन पर ही डांटा। परंतु पिता कितना डांटते उसके आने की खुशी में उसके लिए सब माफ हो गया था। अब श्रवन  को रक्षा को स्टेशन से घर लाने के लिए भेजा गया। रात काफी हो चुकी थी, लेकिन बेटी को अकेले आने के लिए तो नहीं कह सकते थे। इसलिए श्रवन को जाना ही था। आखिर तो श्रवन की बहन आ रही थी, वह भी इतनी रात में। श्रवन ने कपड़े पहने और तैयार हो गया। तब श्रवन और उसके पिताजी दोनों गाड़ी से रक्षा को लेने के लिए स्टेशन की तरफ निकले।  स्टेशन काफी दूर था,तो श्रवण और उसके पिताजी की स्टेशन पहुंचने में करीब डेढ़ घंटा लगा। स्टेशन पहुंचकर श्रवन ने रक्षा को फोन किया,यह जानने के लिए कि वह कहां पर है? फोन की घंटी बजते ही रक्षा ने अपने भाई और पिता जी को देख लिया था। और वह दौड़कर भाई और पिताजी के पास आई।और पिताजी के गले से लग गयी। पिताजी से गले मिलने के बाद वह आपके भाई के गले लगी। और फिर तीनों गाड़ी की ओर चल पड़े। कुछ ही देर में वह तीनों गाड़ी के पास पहुंच गए। श्रवन  ने दरवाजा खोला तो सभी गाड़ी में बैठ गए। श्रवन ने डिग्गी में सामान रखा और सभी घर की ओर चल पड़े। श्रवन का घर स्टेशन से काफी दूर था, तो उन्हें स्टेशन से घर पहुंचने में भी डेढ़ घंटे का समय लगा। सभी इंतजार कर रहे थे, वहां पलकें बिछाए मां अपनी बेटी का इंतजार कर रही थी। जैसे ही घर के दरवाजे पर गाड़ी रुकी, सभी दौड़ कर बाहर आ गए। रक्षा ने उतर कर मां को प्रणाम किया और मां ने रक्षा को गले से लगा लिया।और आंखों में आंसू आ गए। तभी सभी ने मां को समझाया अब तो रक्षा तुम्हारे पास आ गई है, अब आप क्यों रो रही हो। मैंने अपने आंसू पोंछे।अब सभी एक दूसरे से बातें करने लगे। तब मैंने कहा-कि मैं रक्षा के लिए खाना लेकर आती हूं। जब यह लोग रक्षा को लेने स्टेशन  गए थे। तभी मां ने रक्षा के लिए खाना बना लिया था। मां रसोई में गई और रक्षा के लिए खाना परस कर ले आई। रक्षा आज बहुत दिनों बाद मां के हाथ का खाना खा रही थी। वह तो तरस ही गई थी, मां के हाथ के खाने के लिए। आज उसने मां के हाथ का खाना पेट भर के खाया और उसका मन तृप्त हो गया।

क्योंकि मां के हाथ का खाना बहुत दिन बाद उसे मिला था जिसमें एक अलग ही बात थी। अब सभी सोने चले गए थे रक्षा मां के साथ मां के सोने के कमरे में गई और दोनों ने रात भर बातें की । ना मां ही सोई और ना रक्षा ही। सुबह हुई तो जगे।तो सभी ने देखा कि मां और रक्षा  दोनों ही जग रहे हैं। सभी ने एक दूसरे को सुप्रभात की शुभकामनाएं दी। रक्षा बोली- आज चाय मैं बनाऊंगी और यह कह कर रक्षा रसोई में चाय बनाने चली गई। मां भी रक्षा के साथ रसोई में आ गई थी। रक्षा ने चाय बनाई और लाकर सभी को एक एक प्याली चाय दी।आज रक्षा के हाथ की चाय पीकर सभी बहुत खुश थे। सभी ने रक्षा की तारीफ की। रक्षा भी बहुत खुश हुई। रक्षा खुद ही चाय लेकर श्रेया के कमरे में उसको चाय  देने गई क्योंकि अभी तो सभी श्रेया का ध्यान रखते थे। और रक्षा भी अपनी भाभी की सेवा में लग गई। चाय पीने के बाद मां ने रक्षा को सोने के लिए कहा- क्योंकि रक्षा रात भर जागी थी। मां ने श्रेया को तैयार होने के लिए कहा- क्योंकि उसे चेकअप के लिए अस्पताल जाना था।

यूं तो श्रवन छुट्टी पर था परंतु अचानक श्रवन के ऑफिस से कॉल आ गया। श्रवण को ऑफिस जाना पड़ा,ऑफिस पहुंचकर श्रवन ने ऑफिस का जरूरी काम निपटाया और श्रेया को फोन कर बताया। कि वह जल्द ही घर वापस आएगा। 

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19 Comments

नंदिता राय

08-Sep-2022 08:42 PM

बेहतरीन भाग

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Abeer

08-Sep-2022 04:05 PM

Bahut achhi rachana

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दशला माथुर

08-Sep-2022 03:19 PM

Bahut achhi rachana

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